लेखनी कविता - मधुमक्खी - बालस्वरूप राही
मधुमक्खी / बालस्वरूप राही
फूलों से रस चूस-चूस कर
मधुमक्खी ले आती है
बड़ी लगन से मेहनत करके
छ्ता एक बनाती है।
बड़े जतन से उस छ्ते मे
रखती है फूलों का रस,
फिर करती निगरानी उसकी
कभी न होती टस से मस।
जब रस यही शहद बन जाता
बड़े चाव से खाते हम,
खाते है, पर मधुमक्खी के
बोलो, गुण कब गाते हम!
तोड़े बिना फूल को उसका
रस मधुमक्खी लाती है,
मधु मे इतनी अधिक मधुरता
इसी वजह से आती है।